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Toggle1-परिचय राजस्थान किसे कहा जाता है
राजस्थान किसे कहा जाता है सभी लोगों के मन में यह बात जरूर आती है कि छोटे बच्चे हो या बड़े लोग जब भी वह राजस्थान का जिक्र करते हैं तो पूछते हैं कि राजस्थान किसे कहा जाता है
आज हम आपको राजस्थान के बारे में जानकारी देंगे और इस सवाल का जवाब इसी के शब्दों में ही छुपा हुआ है राजस्थान का शुद्ध और मूल अर्थ होता है राजाओं की भूमि यह नाम संस्कृत के शब्दों से
मिलकर बना हुआ है|राजा यानी प्रशासक जिसका अर्थ होता है प्रशासक हम उसको सामान्य भाषा में राजस्थान भी कहते हैं यह राजाओं की भूमि वाला प्रदेश है जिससे इस राज्य की सांस्कृतिक महत्वता
विरासत का आपको प्रतीत होता है
2-राजस्थान के नाम और इतिहास की कहानी
राजस्थान का इतिहास इसकी परंपराएं वीरगाथाओं से भरी हुई है प्राचीन काल में इस जगह को कई प्रकार के नाम से भी पुकारा जाता था उसमें कोई लोग राजपूताना और मध्य मार्ग के नाम से पुकारते
थे क्योंकि यहां पर कई बड़े राजपूत राजाओं की रियासतें उस दौरान थी जो उनकी वीरता साहस बलिदान और अनोखी शासन प्रशासन के लिए प्रसिद्ध थी जब मुगलों का दौरा और अंग्रेजी हुकूमत का
साम्राज्य था तब इस क्षेत्र को राजपूताना का नाम दिया गया स्वतंत्रता के बाद इसको राजस्थान का नाम दे दिया गया जो इसकी विरासत और खूबसूरती को संजोए रखे है और यहां के लोगों की
पहचान को अनोखा बनाती है|
3-अनोखा पर्यटन स्थल
राजस्थान सिर्फ राजाओं की भूमि ही नहीं बल्कि यह एक स्वर्ग की पर्यटन नगरी भी है इस राज्य का नाम लेते ही मन में महल,लोक संगीत यहां के किले यहां के महल यह सारी चीज हमारे
मन में उभर जाती हैं यहां के स्थानीय लोगों का जो जीवन है वह बड़ा आकर्षण है|राज्य की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत यहां के पर्यटन को बहुत ज्यादा खूबसूरत बनाती है राजस्थान
किसे कहा जाता है इसका उत्तर आपको एक गाथा में नहीं मिलेगा बल्कि इस राज्य की पहचान और यहां का अस्तित्व को जो समाये हुए हैं वह राजस्थान की परंपरा संस्कृति और यहां की
वीरता का मुख्य प्रतीक है जो इस देश और दुनिया को सबसे खास और अनोखा बनाता है|
4-राजस्थान की ऐतिहासिक विरासत
राजस्थान किसे कहा जाता है यह इसकी सुंदरता में ही छिपा हुआ है यहां के खूबसूरत महल और यहाँ के खूबसूरत किले जो राजस्थान की शोभा बढ़ाते हैं राजस्थान अपने वैभव और खूबसूरत महलों
और यहां के किलो के लिए प्रसिद्ध है राजस्थान की संस्कृति और यहां की ऐतिहासिकता इसे सबसे अनोखी बनाती है आप देख सकते हैं जो यहां के किले है जैसे अमेरिका किला मेहरानगढ़ किला और
उदयपुर सिटी पैलेस अपनी वास्तुकला, इतिहास और भव्यता के लिए विशेष रूप से मशहूर हैं।
आमेर किला (जयपुर):
जयपुर से लगभग 11 किमी दूर एक पहाड़ी पर स्थित है आमेर किला।यह 16 वीं शताब्दी में राजा मानसिंह प्रथम जी के द्वारा बनवाया गया था|जिसे बाद में राजा सवाई जय सिंह ने बढ़ा दिया आमेर
किला राजपूताना वास्तुकला और मुगल शैली का एक अद्भुत मिश्रण का प्रतीक है। पर्यटकों को किले के अंदर सुक निवास, गणेश पोल और शीश महल जैसी चीजे काफी आकर्षित करती हैं।राजस्थान
किसे कहा जाता है, इसका अहसास हम यहाँ की दीवारों में भी कर सकते है|इन दीवारों में यहाँ के राजा महाराजो का इतिहास बसा हुआ है|
मेहरानगढ़ किला (जोधपुर):
राजस्थान में सबसे विशाल और प्रभावशाली किलों में से एक है जोधपुर का मेहरानगढ़ किला है।जो 1459 में जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने 400 फीट ऊँची पहाड़ी पर इस किले का निर्माण
करवाया था। किले की दीवारें और उसकी शान को देखकर लोग दूर दूर से इस किले को देखने आते थे|मेहरानगढ़ किले के अंदर सुंदर महल भी जैसे फूल महल,मोती महल और शीश महल जो
काफी खास है क्यों की इन महलों में शाही हथियार वस्त्र और वहां की पुरानी कलाकृतियां महल के अंदर बने संग्रहालय में एकत्रित की गई है राजस्थान किसे कहते हैं इस बात की जानकारी आपको
यहाँ आकार इन किलो और राज्य की वीर गाथाओं और यहां के शौर्य और पराक्रम से मिलती है|
सिटी पैलेस (उदयपुर):
उदयपुर का सिटी पैलेस राजस्थान के सबसे सुंदर महलों में से एक है जो पिछोला झील के किनारे पर स्थित है।16 वी शताब्दी में महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने इसे बनाया,और इसके बाद कई राजाओ
ने इस पर काम किया और इस महल को और अच्छा बनाया। इस महल की सुंदर वास्तुकला मुगल और राजपूत कलाओं का एक अद्भुत मिश्रण है।सुंदरआँगन, झरोखे और विशाल परिसर सिटी पैलेस का
सबसे बड़ा आकर्षण हैं।पर्यटक यहाँ पर काफी ज्यादा आते है और यहाँ के उत्कृष्ट कला से प्रवावित होते है महल से पिछोला झील का सुंदर नजारा दिखायी देता है जो देखने में बहुत अधिक आकर्षण
लगता है|राजस्थान किसे कहा जाता है इसका जीता जगता उदहारण यह महल है जो संस्कृतियो को संजोए हुए है,।
5-राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता
राजस्थान किसे कहा जाता है यह जानकारी आपको जानने के लिए राजस्थान की संस्कृति और यहां के माहौल पर एक नजर जरूर डालनी चाहिए इस राज्य की संस्कृति और यहां की खूबसूरती बेहद
शालीन और सरल है यहां के त्योहार और लोक नृत्य संगीत कला और भोजन में यहां की संस्कृति पूर्ण रूप से झलकती है राजस्थान की संस्कृति में राजपूताना इतिहास की जीवन शैली का एक अलग
परिवेश है जो इसकी विविधता को बहुत अधिक खास बना देती है|
6-राजस्थानी लोक नृत्य और संगीत
राजस्थान के लोक नृत्य और संगीत यहाँ की संस्कृति की अलग पहचान हैं। यहाँ के प्रमुख नृत्य जैसे घूमर, कालबेलिया, और कठपुतली नृत्य पूरे देश और दुनिया में प्रसिद्ध है।घूमर नृत्य राजस्थान का
बहुत प्रसिद्ध नृत्य है जो यहां की महिलाओं के द्वारा किया जाता है|, जिसमें वे रंग-बिरंगी पोशाकें पहनकर घूमते हुए नाच करती हैं।कालबेलिया नृत्य, जिसे लोग स्नेक चार्मर डांस भी कहते हैं| इस
नृत्य को कालबेलिया समुदाय द्वारा किया जाता है और इसकी अद्भुत गति और लय देखती ही बनती है।जो इस राज्य के संगीत और नृत्य को स्थानीय जीवन के हर पहलू को जीवंत बना देती है,जिससे
हमको यहाँ पता चलता है कि राजस्थान किसे कहा जाता है और क्यों इसे सांस्कृतिक धरोहर का खजाना कहा गया है।
7-राजस्थानी परिधान और आभूषण
राजस्थान किसे कहा जाता है, इसका जवाब उसकी पारंपरिक पोशाकों में ही छिपा हुआ है,जो इस राज्य की सांस्कृतिक विविधता और राजसी इतिहास को बखूबी दर्शाती हैं।यहाँ की महिलाओं की
पारंपरिक पोशाक घाघरा-चोली होती है, जो बेहद रंगीन और आकर्षक होती है।जब राजस्थानी महिलाएँ अपने हाथों में चूड़ियाँ और गहने सजाती हैं, तो उनकी सुंदरता और भी निखर जाती है और मानो ऐसा
लगता है जैसे पूरे राजस्थान का समृद्ध परिवेश जीवंत हो उठा हो।पुरुषों के पहनावे में पगड़ी का एक खास महत्व होता है, जो न केवल उनकी सामाजिक पहचान को दर्शाती है बल्कि यह भी बताती है
कि वे किस समुदाय से संबंध रखते हैं।राजस्थान के विभिन्न इलाकों में पगड़ी बाँधने की शैली अलग-अलग होती है, जो यहाँ की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है।इस पारंपरिक पोशाक में सिर्फ
सुंदरता ही नहीं,बल्कि राजस्थान के इतिहास और संस्कृति की भी झलक मिलती है, जिससे समझ में आता है कि राजस्थान किसे कहा जाता है और क्यों इसे सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है।
8-राजस्थान का खानपान
राजस्थान का भोजन यहां की संस्कृति और यहा की परंपराओं का अनूठा प्रतिबिंब है जो राज्य की भौगोलिक और ऐतिहासिक विशेषता इसको खास बनाती है राजस्थान अपने पारंपरिक और अनोखे
व्यंजनों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है यहां का खानपान न सिर्फ लजीज होता है बल्कि उसकी हर एक डिश मैं आपको राजस्थान की झलक देखने को मिलती है राजस्थान किसे कहा जाता है इसका
अंदाज आपके यहां के खानपान से भी मिल जाएगा जो यहाँ के व्यंजनों का एक अनूठा संगम है|
दाल बाटी चूरमा:
दाल बाटी चूरमा राजस्थान का सबसे लोकप्रिय और पारंपरिक व्यंजन है। जो गेहूँ के आटे से बनाया जाता है, जो बाहर से कुरकुरा होता है और अंदर से नरम। इसे घी में डुबोकर दाल के साथ खाया
जाता है। इसके साथ ही आपको मीठे चूरमे का जो स्वाद मिलता है वह तो राजस्थानी खाने में जान डाल देता है| जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।
गट्टे की सब्जी:
गट्टे की सब्जी भी राजस्थानी खानपान का एक अहम हिस्सा है। इसे बेसन के गट्टों से बनाया जाता है, जिन्हें टमाटर और मसालों की ग्रेवी के साथ तैयार करके बनाया जाता है।यह सब्जी चावल या रोटी
के साथ खाई जाती है जिसको राजस्थान में बेहद पसंद किया जाता है।
केर-सांगरी:
केर-सांगरी राजस्थान का एक मुख्य व्यंजन है जिसे फलो के सूखे हुए बीजो से बनाया जाता है इस व्यंजन को बनाने में बहुत कम मात्रा में पानी का उपयोग होता है| केर सांगरी सब्जी का स्वाद भी
अनोखा होता है इसको बाजरे की रोटी के साथ खाया जाता है राजस्थान किसे कहते हैं इस का अनुभव करने के लिए इस पारंपरिक व्यंजन का स्वाद लेना बेहद जरूरी है।
मिर्ची बड़ा और प्याज़ कचौरी:
मिर्ची बड़ा और प्याज़ कचौरी राजस्थान के मशहूर स्ट्रीट फूड हैं। मिर्ची बड़ा हरी मिर्च के अंदर मसालेदार आलू भरकर तैयार किया जाता है, जबकि प्याज कचौरी में मसालेदार प्याज को भरा जाता
है।इन कचौरीयो को चटनी के साथ खाया जाता है और ये राजस्थान के हर शहर में बेहद लोकप्रिय हैं।
मिठाईयां:
राजस्थान की मिठाइयां भी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है इसमें आप मावे की कचौड़ी घेवर मालपुआ जैसी मुख्य मिठाइयां है यह मिठाइयां खासकर शादी विवाह जैसी प्रोग्रामो पर मेहमानों का स्वागत करती हैं
राजस्थानी मिठाइयां अपने स्वाद और खास बनावट के लिए जानी जाती है जिनमे राजस्थान की झलक देखने को मिलती है ताकि हमको पता चल सके की यह राजस्थान के हिस्से की मिठाइयां है
राजस्थान किसे कहा जाता है और क्यों उसको सांस्कृतिक और पाक कला का धनी राज्य कहा जाता है यह सब इसकी कलाकारी और यहां के व्यंजनों और यहां की संस्कृति के गहरे अनुभवों पर निर्भर करता है |
9-रेगिस्तान का अनुभव
राजस्थान किसे कहा जाता है इसको जाने और समझने के लिए आपको एक बार राजस्थान की यात्रा जरूर करनी चाहिए राजस्थान में ऊंट की सवारी करना अपने आप में बेहद खास अनुभव है जैसलमेर
जिसे स्वर्ग की नगरी भी कहा जाता है यह अपने विशाल रेट के तिलों के लिए प्रसिद्ध है यहां पर आपको बड़े-बड़े रेट की तिली नजर आ जाएंगे यहां की सुनहरी रेट और खुले आसमान के नीचे
का रोमांस पर्यटकों को काफी अनोखा और आकर्षक लगता है
कैंपिंग का अनूठा अनुभव:
जैसलमेर के रेगिस्तान में यहां पर आप कैंपिंग का अनुभव ले सकते हैं|जो आपको एक अलग और अनोखा अहसास प्रदान करता है पर्यटक यहां के राजस्थानी शैली में बने हुए तंबू में ठहरने का लुत्फ
उठाते हैं और रात में यहां पर लोक संगीत और नृत्य का आयोजन किया जाता है जो पुरे वातावरण को संगीतमय बना देता है चांदनी रात में और तारों की छांव के नीचे इस कैंपिंग का आप मजा आप
ले सकते हैं जो जैसलमेर में ही आपको मिलता है इस कैंपिंग के माध्यम से आप राजस्थान किसे कहा जाता है और क्या इसकी खासियत है और इसे क्यों रजवाडो की भूमि कहा जाता है यह सब आप जान सकते हैं |
ऊंट सफारी का रोमांच:
जैसलमेर में रेत पर ऊंट की सफारी करना बहुत दिलचस्प है।ऊंट पर सफारी करते हुए आप थार के रेगिस्तान के सुंदर दृश्यों को बहुत ही नजदीक से देख सकते है|ऊंट की सवारी करते हुए रेत के
टीलों पर चलकर दूर तक फैले रेगिस्तान को देखना बहुत अच्छा लगता है।ऊंट की सवारी के दौरान गाँवों को देखने और राजस्थानी जीवनशैली को नज़दीक से जानने का मौका मिलता है।जो बेहद ही रोमांचक होता है|
रेत के टीलों का मज़ा:
जैसलमेर के सम और खुड़ी जैसे स्थान रेत के टीलों के लिए बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हैं। यहाँ के टीलों पर सनसेट वॉक जैसी गतिविधियाँ की जा सकती हैं। इन टीलों पर सूर्यास्त का नजारा बहुत ही सुंदर
होता है जो देखने में काफी सुंदर लगता है , जहाँ सूरज की किरणें रेत पर पड़कर सुनहरी चमक बिखेरती हैं। जो पर्यटकों को यहाँ के प्रति आकर्षित करती है।
लोक संस्कृति और खानपान:
रेगिस्तान में कैंपिंग के दौरान आपको राजस्थानी खानपान का स्वाद भी देखने का भी मौका मिलता है। यहाँ दाल बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी और राजस्थानी मिठाइयाँ जैसे घेवर और मावे की कचौरी का
लुत्फ उठाया जा सकता है। रात के समय यहाँ के लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले कालबेलिया नृत्य और राजस्थानी लोक गीतों से पर्यटक राजस्थान की समृद्ध संस्कृति को करीब से महसूस करते हैं।
10-राजस्थान का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
राजस्थान का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है यह भूमि अनेक प्राचीन मंदिरों की धरोहर है यहां पर बहुत ज्यादा पवित्र स्थल भी हैं जो इसे एक सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र
बनाते हैं| धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ यह अध्यात्म वाला शहर भी है राजस्थान किसे कहा जाता है इस को समझने के लिए यहां के धार्मिक स्थलों और उनकी परंपराओं को जानना अति आवश्यक है|
पुष्कर ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर:
पुष्कर में स्थित ब्रह्मा जी का मंदिर पूरे विश्व मैं प्रसिद्ध है और यह ब्रह्मा जी का एकमात्र मुख्य मंदिर माना जाता है। इस मंदिर में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु यहाँ पर आते हैं।और इसकी महिमा को
समझते है |साथ ही यहाँ की पुष्कर झील भी एक बड़ा ही धार्मिक महत्व वाला स्थान है, जिसमें कार्तिक पूर्णिमा के दौरान श्रद्धालु यहाँ पर स्नान करते है।यहाँ का पुष्कर मेला भी काफी दूर दूर तक
फैला है जिसे लोग देखने आते है और यहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा से रूबरू होते है।
अजमेर शरीफ दरगाह:
अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, है जो राजस्थान के धार्मिक स्थलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह दरगाह सभी धर्मों के लोगों को समान रूप से आकर्षित करती
है, जहाँ पर हर रोज़ हजारों लोग अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए आते हैं। इसकी पवित्रता और आध्यात्मिकता यहाँ की गंगा-जमुनी तहज़ीब को प्रदर्शित करती है।
एकलिंग जी मंदिर उदयपुर:
उदयपुर के निकट भगवान शिव को समर्पित एकलिंग जी का मंदिर है, जिसे मेवाड़ के राजाओं ने अपनी कुल देवी के रूप में पूजा है। यह मंदिर राजस्थानी स्थापत्य कला और धार्मिक विश्वास को
एक साथ मिलाता है। और यहाँ की आध्यात्मिक शांति पूरे स्थान को शांत बनाये रखती है।
रणकपुर जैन मंदिर:
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पाली जिले के रणकपुर में स्थित जैन मंदिर सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। संगमरमर की कला और वास्तुकला से यह मंदिर प्रसिद्ध है। इसमें 1444 संगमरमर के
खंभे हैं, जो शांति और भव्यता का प्रतीक हैं। जैन धर्म के लोगों के लिए यह जगह आध्यात्मिक और ध्यान करने का स्थान है।
करणी माता मंदिर, बीकानेर:
बीकानेर के पास स्थित करणी माता का मंदिर अनोखी वजह से जाना जाता है। यहाँ चूहे पूजे जाते हैं क्योंकि ये चूहे पवित्र माने जाते हैं। इसको चूहों वाला मंदिर भी कहते है।
गलता जी मंदिर जयपुर:
जयपुर का गलता जी मंदिर, जिसे बंदरों का मंदिर भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है। पहाड़ियों के बीच स्थित मंदिर में कई पवित्र कुंड हैं, जहाँ लोग स्नान करते हैं।और पर्यटकों को
यहाँ की प्राकृतिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है।
11-राजस्थान के प्रमुख मेले और त्योहार
राजस्थान किसे कहा जाता है, इसका अंदाजा यहाँ के रंग-बिरंगे मेलों और त्योहारों से लगाया जा सकता है। राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इसके मेले और त्योहार में से
हैं,जो यहाँ की लोक संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं को प्रदर्शित करते हैं।
पुष्कर मेला:
राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध मेला पुष्कर मेला है, जो अजमेर जिले के पुष्कर में होता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर आयोजित होता है, जिसमें ऊंटों की दौड़, पशु खरीद-फरोख्त और कई सांस्कृतिक
कार्यक्रम होते हैं। यह धार्मिक स्थान है, इसलिए बहुत से लोग यहाँ आते हैं और पुष्कर मेल का आनंद लेते है और यहाँ की झील में स्नान करते हैं।
मरु महोत्सव (जैसलमेर):
जैसलमेर में होने वाले मरु महोत्सव में थार जो रेगिस्तान के रंगों को दर्शाता है। यह संगीत, नृत्य, ऊंट दौड़ और पारंपरिक राजस्थानी खेलों से भरपूर यह उत्सव होता है।रेगिस्तान में मनाया जाने वाला
यह त्योहार जैसलमेर की शानदार सांस्कृतिक धरोहर से पर्यटकों को परिचित कराता है।
गणगौर उत्सव:
गणगौर राजस्थान का प्रमुख त्योहार है, जो विशेष रूप से महिलाओं के बीच लोकप्रिय है। यह त्योहार देवी पार्वती (गणगौर) को समर्पित है और महिलाओं द्वारा अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना
के लिए मनाया जाता है। इस अवसर पर सज-धज कर महिलाएँ पारंपरिक गीत गाती हैं और गणगौर की पूजा करती हैं।
तेजाजी मेला:
नागौर जिले में वीर तेजाजी की स्मृति में तेजाजी मेला मनाया जाता है। तेजाजी के मंदिर में लोग उनकी पूजा करते हैं और लोक नृत्य और गीत-संगीत का आनंद लेते हैं।राजस्थान के ये मेले और
त्योहार धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं बल्कि राजस्थानी कला, संगीत, और संस्कृति का प्रतीक हो
12-राजस्थान की कला और हस्तकला
राजस्थान अपनी कला और हस्तकला के लिए देश में ही नहीं विदेशों में तक प्रसिद्ध है यहां की हस्तकलाएं और राजस्थानी संस्कृति की अद्भुत मिसाल है राजस्थान में बहुत सारी कलाएं हैं जैसे
ब्लूपॉटरी बांधनी कठपुतली नृत्य और पिचवाई पेंटिंग्स देखने को आपको मिल जाते हैं जो इस कला को बहुत अत्यधिक खास बनाते हैं इसी तरह यहां की बांधनी कपड़े पर रंगाई का एक अपना
अलग तरीका है जिसमें आप देख सकते हैं कि रंग-बिरंगे कपड़े और सुंदर डिजाइन यहां की शोभा को बढ़ाते हैं राजस्थान का कठपुतली कला बहुत लोकप्रिय है जिसमें कहानी और मनोरंजन के माध्यम
से कला को दिखाया जाता है पिचवाई पेंटिंग्स और फड़ पेंटिंग्स, इनको दीवारों पर लगाया जाता है जो यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक कहानियों को प्रदर्शित करती है
13-प्राकृतिक सौंदर्य और वन्यजीवन
राजस्थान का प्राकृतिक सौंदर्य और यहां का वन्य जीव इसको एक खूबसूरत पर्यटक का स्थान बनाते हैं राजस्थान किसे कहा जाता है इसका उत्तर हमको यह मिलता है कि यह रजवाडो की भूमि होने के
साथ-साथ यहां पर झीलों और अभ्यारणों के साथ ये महलों का शहर भी इसे कहा जाता है जो प्रकृति और वन्यजीवों के साथ-साथ यहां का अद्भुत संगम है यहां की हरी-भरी अरावली की पहाड़ियां
रेगिस्तान झील और हरियाली इस प्रकृति से भरे वातावरण को एक खूबसूरत और आकर्षक स्थान बनाती है|
14-निष्कर्स
कुल मिलाकर, राजस्थान अपनी ऐतिहासिक धरोहरों, विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराओं, सुंदर प्राकृतिक सौंदर्य और जीवंत वन्यजीवन के कारण विशिष्ट है|पर्यटकों को अरावली पहाड़ियाँ, थार रेगिस्तान, झीलें
और राष्ट्रीय उद्यान प्रकृति की विविधता से परिचित कराते हैं। यहाँ के धार्मिक स्थान, किले, महल और स्थानीय कला भी इसे खूबसूरत बनाते हैं।यही कारण है कि राजस्थान किसे कहा जाता है,
इसका उत्तर इसकी संपूर्ण संस्कृति और भूगोल में छुपा है।यह जगह ऐतिहासिक धरोहरों के अलावा प्रकृति की सुंदरता और वन्यजीवन की विविधता से भरपूर है। राजस्थान एक अद्वितीय पर्यटन स्थल
है,जहाँ आकर हर व्यक्ति को एक अलग अनुभव मिलता है।
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