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Toggle1-परिचय कौसानी का पुराना नाम
कौसानी हिमालय की तलहटी और सुंदर से पहाड़ो के बीच घिरा हुआ एक स्वर्ग लोक है जहा पर आपको शांति और एकांतवास मिलेगा यह जगह इतनी खूबसूरत है की जो भी यात्री यहाँ आना चाहता है उसे बस जिंदगी का सुकून चाहिए होता है
समुन्द्र तल से 1850 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ यह खूबसूरत सा हिल स्टेशन है | सन 1929 में गाँधी जी ने भी यहाँ पर कुछ समय यह पर बिताये थे इस प्राकृतिक जगह की खूबसूरती और हरियाली भरे वातावरण से प्रेरित होकर गाँधी जी ने अनाशक्ति योग पर कुछ किताबे लिखी |
आप को बता दे की गाँधी जी जिस जगह पर रुके थे उस जगह को अनाशक्ति आश्रम कहा जाता है यहाँ से आपको हिमालय के दर्शन और प्रसिद्ध चोटी , पंचाचूली, चौखम्बा,आदि पर्वत का नज़ारा भी साफ दिखयी देता है |
2- कौसानी का महत्त्व
कौसानी, उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले में स्तिथ एक छोटा सा पर्यटन स्थल है | जो अपनी ख़ूबसूरती और हरे भरे पेड़ और चाय के बागानों के लिए प्रसिद्ध है कौसानी का वातावरण बहुत अच्छा है|
पर्यटक यहाँ पर समय बिताना ज्यादा पसंद करते है क्यों की यहाँ की आभवा और जलवायु मन को शांत करने वाली है |और यात्रिओ को सुकून प्रदान करती है |
प्राकृतिक सुंदरता :
यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के लिए लोग दूर दूर से कौसानी आना चाहते है | यहाँ से आप को बर्फ से ढके हुए पहाड़ दिखायी देते है | जो बेहद ही खूबसूरत दिखायी देते है |यहाँ की जलवायु , स्वच्छ हवा तन मन को शांत कर देती है |
यहाँ से पर्यटकों को नंदादेवी, त्रिशूली पंचाचूली की सुंदर सी पहाडियों की श्रंखला लाइन से दिखायी देती है जो आप के तन मन को रोमांचित कर देगी |
कौसानी का पुराना नाम धर्मिक और सांस्कृतिक महत्व :
कौसानी को “स्विट्ज़रलैंड ऑफ इंडिया” भी कहा जाता है, क्यों की कौसानी का वातावरण और प्राकृतिक सौन्दर्य ही अद्भुत है । 1929 में, गांधी जी यहाँ पर ने यहाँ पर 12 दिन का समय बिताया था और इसे मिनी स्विट्ज़रलैंड भी कहते है। गांधीजी के अलावा कई महान लोगों ने इस स्थान की शांति और सुंदरता की प्रशंसा की है।
ऊँचाई :
समुद्र तल से लगभग 1,890 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है कौसानी । ऊँचाई पर होने के कारण कौसानी की हवा ठंडी और ताजगी से भरी रहती है, जो यहाँ का पर्यावरण को शुद्ध और साफ रखती है|
3-घूमने की जगह कौसानी में
चाय बागान :
कौसानी में भी आप को चाय के बागान देखने को मिल जायेगे क्यों की यहाँ की चाय भी विश्व प्रसिद्ध है सन 19 20 में यहाँ पर चाय बागानों की स्थापना की थी |क्यों की कौसानी की मिट्टी और यहाँ की जलवायु चाय की पैदावार के अनुकूल थी |भारतीय चाय के विकास में कौसानी का योगदान बहुत ज्यादा रहा है वो भी अपने उत्तराखंड के कुमाऊ मंडल क्षेत्र का |
काली चाय : कुमाऊ मंडल के कौसानी क्षेत्र में 2 प्रकार की चाय की पैदावार ज्यादा होती है एक तो काली चाय ,और दूसरी हरी चाय|
काली चाय :काली चाय तो पूरी तरह से जब पत्तिया अच्छी तरह से विकसित हो जाती है ,तो उससे तैयार की जाती है इसमे स्वाद और सुगंध भी ज्यादा होता है |
हरी चाय : और हरी चाय को ताजे पत्ते तोड़कर बनाया जाता है | ये स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है और इसकी खेती भी यहाँ पर भरपूर मात्रा में होती है |
रुद्रधारी मंदिर :
रुद्र धारी मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित यह खूबसूरत मंदिर लगभग कौसानी से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है |यहाँ का शांत वातावरण और जंगल का खूबसूरत नज़ारा आपको आनंद मय कर देगा चारो और से झरनों से गिरता पानी मंदिर की शोभा को खूबसूरत बना देता है |
अनासक्ति आश्रम :
कौसानी का पुराना नाम तो गाँधी जी को भी नहीं मालूम था लेकिन जब वो कौसानी आये तो वह इस जगह से काफी प्रभावित हुए और इस जहग को स्वीजर लैंड की उपाधि दे डाली जब 1929 में जब महात्मा गांधी जी अपने निजी यात्रा पर यहाँ आये थे तो उन्होंने इस स्थान को अपनी तपोस्थली बना डाला और यहाँ पर रहकर उन्होंने इस स्थान के बारे में शोध किया जिसको आज हम अनाशक्ति आश्रम के नाम से भी जानते है यहाँ पर एक बड़ा सा प्रार्थना सभा हाल भी है |
लक्ष्मी आश्रम :
लक्ष्मी आश्रम जिसको हम सरला आश्रम के नाम से भी जानते है महात्मा गाँधी जी की जो शिष्या थी जिनका नाम था कैथरीन हिलमैन जिनको काफी लोग सरला बहन के रूप में जानते है उन्होंने ही इस लक्ष्मी आश्रम की 1946 में स्थापना की थी |लक्ष्मी आश्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जीवन की महिलाओ को शिक्षा प्रदान करना
बैजनाथ मंदिर :
कौसानी से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है बैजनाथ मंदिर पौराणिक काल में बने इस मंदिर की भी काफी खासियते है यहाँ पर आपको झील भी मिल जाएगी जिसमे आप नौका विहार का आनंद भी उठा सकते है बैजनाथ मंदिर को “कार्तिकेयपुर” के नाम से जाना जाता था प्राचीन काल में कहा जाता है की तब ये कत्युरी राजवंश के राजाओ की राजधानी हुआ करती थी कत्युरी राजा तब कुमाऊ मंडल और गडवाल मंडल पर राज किया करते थे |
4-कौसानी क्यों जाये
कौसानी का पुराना नाम क्या है इस बारे में अधिकांश लोग जानना चाहते है क्यों की कौसानी से जो हिमालय की माला दिखायी देती है वह बहुत ही सुंदर है कौसानी जाना क्यों पसंद करते है क्यों की अधिकांश पर्यटक आज की भागादौड भरी जिंदगी से थक हर कर वो चाहता है की उसे कही एकांत जगह मिले जहा पर वो कुछ दिन शांति के बिता सके बस कौसानी आप के लिए वही जगह है कौसानी हमारे देश की राजधानी के बेहद नजदीक है
जो यात्री यहाँ आना चाहते है वो ट्रेन , बस ,टैक्सी के द्वारा 8 घंटे के सफ़र के बाद कौसानी पहुक सकते है | नए कपल्स के लिय यह स्थान बेहद ही खूबसूरत है |
5-सुमित्रा नन्द पंथ की जन्म स्थली
क्या आप जानते है प्रख्यात हिंदी के जाने मने कवि सुमित्रा नंदन पंथ की जन्म स्थली भी कौसानी में ही है | उनका बचपन यही बीता आज भी उनके घर को सरकार ने संग्रहालय के रूप में सजा कर रखा है जहा पर उनके द्वारा लिखी हुई पुस्तके ,साहित्य ,उनकी फोटो ,उनका कुरता पैजामा सज कर रखा है | पर कई पर्यटक आते है और फोटोग्राफी करते है और उनकी यादो को कवर कर अपने साथ ले जाते है
6-कौसानी शाल फैक्ट्री
सन 2002 में कौसानी शॉल फैक्ट्री की शुरुआत हुई थी अपनी कुमाऊंनी कला को प्रोत्साहित करने और स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए इस शाल फैक्ट्री का निर्माण किया था । तब से, कौसानी की शॉल पर्यटकों के लिए एक आकर्षण बन गया है। यहाँ आप स्थानीय बुनकरों से बनाए गए कई सुंदर रंगों और डिजाइन के शाल देखने को मिलेगे |जो कौसानी की ख़ूबसूरती को और भी निखारते है |
7-होटल
सुबह होते ही बर्फीले पहाड़ों का नजारा और ठंडी हवा से तरोताज़ा होते हैं। और ये सपना पूरा करने के लिए आपको एक आशियाना मिलना चाहिए जो आपको पहाड़ों के सुंदर दृश्यों से रूबरू कराए।
8- कौसानी का पुराना नाम
कौसानी का पुराना नाम कहते है की कौसानी का पुराना नाम कत्यूर शासको नै वलना रखा था | बाद में कुछ लोग कहते है की कौसानी का नाम महान तपस्वी कौसिक मुनि के नाम पर पड़ा जब उन्होंने यहाँ पर रहकर हजारो वर्षो तक भगवान शंकर की तपस्या की थी | उसके बाद इस जगह का नाम कौसानी पड़ा जो आज तक हम सुनते और देखते आ रहे है तब से कौसानी का पुराना नाम बदलकर नया नाम रखा गया |
9-पिनाकेश्वर
पिनाकेश्वर ये खूबसूरत मदिर कौसानी से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में बसा हुआ है यह पिकनिक मनाने और ट्रैकिंग करने वालो के लिए बहुत अच्छा स्थान है | इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है की आपको इतनी ऊंचाई पर जाने के बाद कुए मिलेगे और 36 5 सीडी आप को मंदिर जाने में मिलेगे कौसानी का पुराना नाम कत्युरी शासको की खोज है |
10 -निष्कर्ष
सुमित्रा नंदन पंत की कविताओं में कौसानी एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक केंद्र है। उनके लिए शांति, सौंदर्य और प्रेरणा इस जगह से मिलती है। पंत जी की कविताओं में कौसानी की अद्भुत प्राकृतिक छटा और शांति का चित्रण प्रस्तुत होता है,
जो आत्मा को प्रेरणा और शांति प्रदान करता है। कौसानी में अगर आप सूर्योदय का नज़ारा देखगे तो आपका मन प्रसन्न हो जायेगा यह एक भावुक और मानसिक अनुभव भी है। पंत जी की रचनाओं में यह स्थान साहित्यिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, जो उनकी भावनात्मक और रचनात्मक यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
Nice article 👍👍
thanku
Interesting 👍👍