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Toggle1-परिचय कैंची धाम कहां पर है
आज हम आपको बताएंगे कि कैंची धाम कहाँ है। जिस तरह केदारनाथ, शिरडी, ज्वाला देवी, और मनसा देवी जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल प्रसिद्ध हैं, उसी तरह आज में आपको कैंची धाम के बारे मे बताना चाहूँगा उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में कैंची धाम एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
हर साल लाखो लोग इस धार्मिक स्थान पर आते हैं, जो भारत के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक है। नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर से लगभग 42 किमी की दूरी पर स्थित यह पावन कैंची धाम है। कैंची धाम का मुख्य आकर्षण हनुमान और कृष्ण के मंदिर हैं।
1960 के दशक में संत श्री कन्हैया लाल जी महाराज ने इस स्थान को स्थापित किया था, इसलिए यह स्थान विशेष रूप से प्रसिद्ध है। संस्थापक: संत श्री कन्हैया लाल जी महाराज ने 1962 में कैंची धाम की स्थापना की। यहां संत जी ने धार्मिक कार्यक्रमों के लिए एक आश्रम बनाया।
इस स्थान को संत श्री कन्हैया लाल जी महाराज ने अपनी साधना और उपदेशों से एक आध्यात्मिक केंद्र बनाया। उनका कहना था कि यहाँ आने से सभी भक्तों को जीवन में सुख-शांति मिलती है और उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
2-जन्म स्थक महाराज जी का
कहते है बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश मै एक छोटे से ग्रामीण परिवार में सन 1900 में हुआ था|जिस गाव का नाम अकबरपुर था |उनके पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद था ,छोटी सी ह़ी उम्र मे बाबा को काफी ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी |और वे साधना करने चले गए थे |
कहते है बड़ी कम उम्र में बाबा जी का विवाह भी हो गया था उसके बाद सन 1958 में बाबा जी ने घर को त्याग दिया और और भ्रमण कर इधर उधर तपस्या करने लगे
3 -बाबा की शक्ति का अहसास
नीम करोरी महाराज अपने आप में स्वयं हनुमान जी का अवतार थे उनके आशीर्वाद और प्रेम से आज लाखो लोगो का जीवन खुशियों से भरा हुआ है दन्त कथाओ के अनुसार एक बार कैंची धाम में जो पुए प्रसाद के रूप में वितरित किये जाते है तो अचानक से घी की कमी पड़ गई सभी लोग परेशान हो गये |
कोई बोला अब क्या करे सभी लोग आखिर में बाबा जी के पास गए और बोले बाबा जी इस प्रकार की दिक्कत हो गई अब क्या करे बाबा जी नै फ़ौरन कहा सामने शिप्रा नदी से 2 बाल्टी जल कड़ाई में दाल दो जैसे ही जल कड़ाई में डाला तो वह घी में बदल गया |इस प्रकार की शक्ति है नीम करोरी महाराज जी की
4-मेले का आयोजन
कैंची धाम कहां पर है यह हर यात्री जब बाबा के दरबार में आता है तो सब यही पूछते है की कैंची धाम कहां पर है हल्द्वानी से लगभग 42 किलोमीटर की दूरी पर है कैंची धाम, हर वर्ष की भाति 15 जून को कैंची धाम मै मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे से देश विदेश से काफी पर्यटक यहाँ पर बाबा के दर्शन को आते है |यहाँ पर हनुमान जी का एक भव्य मंदिर भी बना हुआ है |
यहाँ के लोग और श्रद्धालु धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों में बहुत उत्साह और श्रद्धा से भाग लेते हैं। संत श्री कन्हैया लाल जी महाराज जी की शिक्षाएँ और उनके द्वारा बनाए गए हनुमान और कृष्ण के मंदिर मुख्य आकर्षण हैं। मंदिर में श्रद्धालु नियमित रूप से आते हैं,
भजन कीर्तन करते हैं और दूसरों की मदद व सेवा भाव भी करते हैं। यह स्थान आत्मिक शांति का केंद्र है और स्थानीय संस्कृति और जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
5 -कंबल वाले बाबा की कहानी
कैंची धाम की कहानी “कंबल वाले बाबा” एक दिल छू लेने वाली कहानी है जो समर्पण, भक्ति और धार्मिक परंपरा की मिसाल देती है।
कंबल वाले बाबा की कहानी
कंबल वाले बाबा, जिनका असली नाम नीम करोली बाबा था, एक भारतीय संत और योगी था. वह विशेष रूप से अपने कंबल पहनने की आदत और अद्भुत दिव्य शक्तियों के लिए प्रसिद्ध थे ।सन 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में नीम करोली बाबा का जन्म हुआ था। उन्हें साधारण जीवन जीना पड़ा, और उनकी धार्मिक यात्रा और जीवन की कहानी बहुत प्रेरणादायक है।कहानी का प्रारंभ:
1962 में संत श्री कन्हैया लाल जी महाराज ने नैनीताल जिले के कैंची नामक स्थान पर एक धार्मिक आश्रम की स्थापना की, जो कहानी की शुरुआत है। यहाँ वे भगवान हनुमान और भगवान कृष्ण की मूर्तिओं को मंदिर में स्थापित करते थे। उनके अनुयायियों के लिए यह स्थान एक आध्यात्मिक घर बन गया।
कंबल चढ़ाने का रिवाज:
संत श्री कन्हैया लाल जी महाराज के अनुयायियों ने देखा कि बाबा को हर साल, जैसे उनकी जयंती पर, सुंदर कंबल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। यह कंबल उनकी श्रद्धा और भक्ति का एक प्रतीक था। कंबल का चयन खास तरह से किया गया था, भव्य डिजाइन और रंगों के साथ। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान बन गया है, जो भक्तों को संत के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान दिखाता है। इसलिय बाबा के सम्मान में जो कोई भी यहाँ आता है वह बाबा को कम्बल जरूर भेट करता है |
श्रद्धा और भक्ति:
स्थानीय लोगों को कंबल वाले बाबा की उपस्थिति और उनकी शिक्षाएँ प्रेरणा दीं। उनके पास न केवल धार्मिक उत्सवों की व्यवस्था थी, बल्कि गरीबों और जरूरतमंदों की मदद भी हुई। उनकी सेवा और साधना ने उन्हें भक्तों के दिलों में खास जगह मिली।
आज की स्थिति:
आज भी कैंची धाम में कंबल चढ़ाने की परंपरा निभाई जाती है, और यह धार्मिक उत्सवों का एक महत्वपूर्ण भाग है। भक्तों की भक्ति और संत के प्रति उनके सम्मान को यह परंपरा प्रदर्शित करती है। इस परंपरा के माध्यम से कैंची धाम में आने वाले श्रद्धालु अपनी आस्था और श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
कंबल वाले बाबा की कहानी हमें बताती है कि साधना और भक्ति के साथ-साथ दूसरों की सहायता और सेवा भी महत्वपूर्ण है। कैंची धाम की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में यह कहानी महत्वपूर्ण है।
6-पर्यटन और यात्रा
धार्मिक विश्वास:
आप यहाँ पर वीडियो के माध्यम से भी मंदिर का भव्य स्वरुप जान सकते है
मन्दिरों की शुद्धता: कैंची धाम में स्थित श्रीकृष्ण और हनुमान मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र हैं। यहाँ की पूजा और अनुष्ठान लोगों को आध्यात्मिक सुख और मानसिक शांति देते हैं।
श्री कन्हैयालाल जी ने कहा कि यह स्थान एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बन गया है क्योंकि संत जी की शिक्षाएँ और उनकी साधना की गाथाएँ लोगों को आकर्षित करती हैं।
सामाजिक स्मारक:
मेला : 15 जून में हर साल लगने वाला भव्य मेला स्थानीय संस्कृति और धार्मिक उत्सवों का एक महत्वपूर्ण भाग है। आप इस मेले में लोक कला, संगीत और नृत्य देख सकते हैं। मेले में मिलने वाला प्रसाद मालपुआ होता है जिसे बनाने के लिए कारीगर 3 दिन पहले से ही तैयारी कर लेते है |
प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों का आकर्षण है:
भविष्य का चित्र: कैंची धाम पहाड़ी क्षेत्र में स्तिथ एक पवित्र धाम है , इसलिए आप जितनी ऊंचाई पर पहुचंगे प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उतना ही गहरा होता जायेगा । यहाँ साफ हवा, पहाड़ों की चोटियाँ और हरियाली आपका मन मोह लेगी |
शांतिपूर्ण वातावरण: यहाँ का शांत और पवित्र वातावरण एक ताजगी भरी भावना देता है, जो शहर की व्यस्तता से दूर भागने के लिए अच्छा है। मंदिर के नीचे ही शिप्रा नदी अपने प्रवाह के साथ बहती है |
आत्मिक अनुभूति:
ध्यान और उपकरण: यहाँ आने वाले लोग ध्यान और साधना करके आत्मिक शांति पा सकते हैं। मंदिर में भजन कीर्तन और पूजा मन को शांत करते हैं।
आध्यात्मिक कार्य: यहां भी कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जो यात्रियों को एक अनूठा अनुभव देते हैं।
सुविधाजनक पहुँच:
आगमन सुविधा: नैनीताल और हल्द्वानी से बस या टैक्सी द्वारा आसानी से यहाँ तक पंहुचा जा सकता है । यहाँ पहुंचकर सुंदर दृश्यों और ऊँचे पहाड़ो का आनंद लिया जा सकता है | जो इस अवसर पर इस कैंची धाम की यात्रा को खास बना देता है |
7 -समाप्ति
कैंची धाम की महत्वपूर्णता न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहलुओं से भी बहुत गहरी है। संत श्री कन्हैया लाल जी महाराज द्वारा स्थापित यह स्थल श्रद्धा, भक्ति और शांति का प्रतीक है। यहाँ की धार्मिक अनुष्ठान, भव्य मेले, और सुंदर प्राकृतिक परिवेश लोगों को आत्मिक संतोष और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।
अंतिम विचार
कैंची धाम का भविष्य शानदार है। समय के साथ, इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर और भी समृद्ध होगी। यहाँ के रिवाज और अनुष्ठान अगली पीढ़ियों को प्रेरणा देंगे। इसे धार्मिक आस्था और पर्यटन की बढ़ती रुचि और भी प्रमुख तीर्थस्थल बना सकती है।
प्रेरणादायक
इस स्थान की यात्रा करने से हम सभी को अपने जीवन का उद्देश्य और आध्यात्मिक स्तर को समझने का अवसर मिलता है। कैंची धाम हमें बताता है कि भक्ति, आस्था और साधना के साथ-साथ प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेना भी महत्वपूर्ण है। यह स्थान हमें सरलता, समर्पण और मानवता के साथ एक शांत और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
कैंची धाम का भविष्य धार्मिक एकता, सांस्कृतिक समृद्धि और प्राकृतिक संरक्षण के माध्यम से उज्ज्वल है, और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण धरोहर रहेगा।
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