अल्मोड़ा कहां है: संस्कृति और धरोहर की नगरी

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1- अल्मोड़ा कहां है परिचय

ऐतिहासिक महत्व :

अल्मोड़ा कहा है अक्सर लोग पूछते है जब यात्री पहाड़ की यात्रा पर आते है आज हम आपको बताएगे अल्मोड़ा उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन है यह शहर अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता और शिक्षा के लिए मशहूर है|

अल्मोड़ा कहां है
image credit-Photo by Ankit Gupta on Unsplash

समुद्र तल से लगभग 1650 मीटर की ऊंचाई पर यह शहर स्थित है और अपने जलवायु  और खूबसूरत मौसमी मिजाज के लिए यह प्रसिद्ध है इसी कारण यहां पर हर वर्ष लाखों सैलानी अल्मोड़ा की यात्रा पर आते है|

अल्मोड़ा एक ऐतिहासिक नगरी भी है क्यों कि सन 1568 में राजा बालो कल्याण चंद्र ने इस शहर की स्थापना की थी क्यों कि उस समय यह जो शहर था कत्यूरी राजाओ के पास हुआ करता था जिस कारण से पूरे शहर की कमान उन्ही के हाथो में थी |

अंग्रेजो के शासनकाल में अल्मोड़ा ब्रिटिश सरकार का एक मुख्य प्रशासनिक केन्द्र हुआ करता था| और कई बड़े ब्रिटिश अधिकारियो ने अल्मोड़ा को अपना निवास स्थान बनाया इसलिए अल्मोड़ा में

आज भी आपको बहुत सारे पुराने  ब्रिटिश बंगले देखने को मिल जाएंगे |कत्यूरी  राजाओं ने अल्मोड़ा में काफी मंदिरों का और कई स्मारकों का निर्माण भी करवाया |

अल्मोड़ा का भौगोलिक स्थान :

अल्मोड़ा हुंचने के तरीके:

अल्मोड़ा अपने कुमाऊँ मंडल में एक खूबसूरत जिला और शहर है समुद्र तल से 1650 मीटर की ऊंचाई पर यह शहर स्थित है जिसका वातावरण और यहां का मौसम पूरे साल भर खूबसूरत रहता है

अल्मोड़ा शहर
image credit-Google cc

अल्मोड़ा की जो भौगोलिक स्थिति है  इसके चारों ओर हिमालय की बर्फीली चोटियां और पेड़ पौधे पर्वत जंगल नदियां यह सब इसके चारो और हैं और अल्मोड़ा के चारों ओर मंदिरों का बहुत बड़ा जाल है|

माँ श्यामा देवी,कसार देवी,बानरी देवी,नंदा देवी ,जो इस देवतुल्य स्थान को और भी खूबसूरत बनाते है |

हवाई मार्ग:

अल्मोड़ा कहा है अल्मोड़ा पहुंचने के लिए आपको अगर हवाई मार्ग से जाना है तो आप अल्मोड़ा के नजदीक पंतनगर हवाई अड्डा है जो अल्मोड़ा से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है अगर आप किसी बड़े शहर से उत्तराखंड की ओर आ रहे हैं तो आप पंतनगर तक हवाई मार्ग से आ सकते हैं

holicopter
image credit-Photo by Marc Wieland on Unsplash

उसके बाद आपको पंतनगर से अल्मोड़ा के लिए टैक्सी बस और अन्य वाहन की सुविधा जो भी आपको उपलब्ध हो आप अल्मोड़ा पहुंच सकते हैं कुछ समय पहले कुछ प्राइवेट ओपेरटर  ने अपने हवाई जहाज भी शुरु किये थे वह भी 30 मिनिट में आपको हल्द्वानी से अल्मोड़ा छोड़ देते है |

रेल मार्ग :

अल्मोड़ा कहा है आज आपको जानकारी देगे अगर आपको अल्मोड़ा रेल मार्ग के माध्यम से पहुंचना है तो इसके लिए आपको हल्द्वानी के काठगोदाम तक रेल मार्ग से आना होगा और उसके बाद हल्द्वानी के काठगोदाम  स्टेशन से आपको

अल्मोड़ा के लिए टैक्सी बस और प्राइवेट बहुत तरीके के साधन आपको मिल जाएंगे इस तरह से भी आप अल्मोड़ा बड़ी आसानी और सुगमता से पहुंच सकते हैं

स्थानी परिवहन

अगर आप स्थानीय परिवहन से अल्मोड़ा पहुंचाना चाहते हैं तो आपको हल्द्वानी से टैक्सी या बस और उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की सरकारी बस  आपको अल्मोड़ा पहुंचा देंगे

जिससे कि आपका सफर आसानी और प्राकृतिक सुंदरता को देखते-देखते कट जाएगा और आप अल्मोड़ा की सुंदर नगरी में पहुंच जाएंगे|

2-अल्मोड़ा कहा है इतिहास की झलक

अल्मोड़ा का ऐतिहासिक महत्व :

अल्मोड़ा उत्तराखंड राज्य का एक बहुत प्रमुख और ऐतिहासिक शहर है सन 1568 में राजा बालो कल्याण चंद ने इस शहर की स्थापना की थी क्यों कि वह एक शक्तिशाली शासक के रूप में जाने जाते थे उन्हीं के शासनकाल के दौरान इस शहर में सांस्कृतिक चीजो का जन्म हुआ |

प्राचीन काल :

अल्मोड़ा का इतिहास वर्षों पुराना है क्यों कि यह क्षेत्र कत्यूरी राजवंश के अधीन सातवीं से लेकर लगभग 11 वीं शताब्दी तक उनके शासनकाल में रहा |तब उन्होंने यहां पर काफी सारे  मंदिर और धार्मिक स्थलों का निर्माण भी करवाया जब कत्यूरी  राजवंश का पतन हो गया तो उसके पश्चात चंद्र राजाओं ने यहां अपना शासन स्थापित कर दिया और चंद्र राजाओं ने ही अल्मोड़ा को अपनी  नयी राजधानी बनाई |

ब्रिटिश काल  :

अल्मोड़ा कहां है  जब सन 1815  में गोरखा युद्ध हुआ उसके बाद पूरे अल्मोड़ा पर अंग्रेजों ने अपना पूरा अधिकार स्थापित कर लिया और ब्रिटिश टाइम के दौरान अल्मोड़ा एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र हुआ करता था क्यों की ब्रिटिश अधिकारियो की सारी कार्य प्रणाली यही से संचालित हुआ करती थी | ब्रिटिश अधिकारियों  ने यहां पर कई तरह की सुविधाओं को विकसित किया और इसको पूर्ण रूप से एक हिल स्टेशन का दर्जा दिया यहां  शिक्षा स्वास्थ्य और यात्रा संबंधी काफी चीजो को उन्होंने बहुत ज्यादा दुरुस्त किया

सांस्कृतिक धरोहर:

अल्मोड़ा की सांस्कृतिक धरोहर सबसे अलग है यहां पर जो मंदिर हैं जैसे चितई मंदिर, कसार देवी बानरी देवी ,नंदा देवी इनकी वास्तुकला सबसे अलग और अनोखी है यह अल्मोड़ा की संस्कृति और यहां की विरासत को दर्शाते है |

प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएँ और उनके प्रभाव :

7वीं – 11वीं शताब्दी: कत्यूरी राजवंश का शासन

अल्मोड़ा कहां है यहाँ का  इतिहास बहुत ही पुराना और मार्मिक है कत्यूरी राजवंश ने जब अल्मोड़ा में सातवी  और आठवीं शताब्दी के मध्य में राजपाठ किया तब उन्होंने अल्मोड़ा में काफी ज्यादा मंदिरों और किलो का निर्माण भी करवाया था | जिनमे से  अल्मोड़ा का जागेश्वर धाम मंदिर भी प्रमुख है |इस दौरान अल्मोड़ा को एक धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी के रूप में भी देखा जाने लगा |

1568: चंद राजवंश की स्थापना

अल्मोड़ा कहां है यह जानने के लिए आपको अल्मोड़ा का इतिहास भी समझना होगा 1568 में जब अल्मोड़ा की स्थापना हुई थी तो राजा बालो कल्याण चंद्र के द्वारा इसको अपनी राजधानी  के रूप में विकसित किया गया  और उसी  दौरान काफी अल्मोड़ा के सांस्कृतिक और शहरीकरण,शिक्षा  का उन्होंने काफी विकास भी किया |

1790: गोरखा आक्रमण

1790 में जब गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने कुमाऊं की राजधानी अल्मोड़ा पर युद्ध किया और अल्मोड़ा पर अपना अधिकार प्राप्त कर लिय  उसके बाद अल्मोड़ा में गोरखा सेना  के द्वारा अल्मोड़ा में काफी ज्यादा परिवर्तन किए गए वहां के स्थानीय निवासियों को दंड के रूप में  कठोर सजा का सामना करना पड़ा  वो लोग स्थानीय लोगो से कर वसूलते थे इस कारण से अल्मोड़ा के लोग बहुत ज्यादा दुखी और निराश हो गए थे|

1815: ब्रिटिश शासन की स्थापना

सन 1815 में गोरखा युद्ध समाप्त होने के बाद अल्मोड़ा पर ब्रिटिश सरकार ने अपना कब्जा कर लिया था अल्मोड़ा कहां है यह जानने के लिए इसकी  कार्य प्रणाली  को जानना बहुत महत्वपूर्ण है अंग्रेजों ने वहां पर कई सुविधाओं का विकास किया जैसे अल्मोड़ा में काफी स्कूल बनवाए जैसे रेमजे इंटर कालेज , हॉस्पिटल इत्यादि का निर्माण करवाया सड़कों का जाल बिछाया और अल्मोड़ा की आर्थिक स्थिति को उन्होंने काफी तेजी से मजबूत किया और सामाजिक व्यवस्था में भी काफी ब्रिटिश सरकार ने बदलाव किया|

1911: अल्मोड़ा अखबार का प्रकाशन

पंडित बद्रीनाथ पांडे जी जिन्होंने सन् 1911  में अल्मोड़ा में पहले अखबार का प्रकाशन शुरू किया यह श्रेय उन्हीं को जाता है क्यों कि उस समय अंग्रेजों का शासन काल था और हर कार्य करना बहुत कठिन था  हिंदी  अखबार  का होना भी जरूरी इसलिए  था क्यों कि सामाजिक राजनीतिक चेतना को जानने के लिए उन्होंने इस अखबार का प्रकाशन शुरू किया इसी अखबार के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के लोगों को राष्ट्रीय आंदोलन के लिए इकट्ठा किया गया  और उन लोगों को उस अखबार के माध्यम से जानकारियां भी प्राप्त होती थी|

1947: स्वतंत्रता प्राप्ति

सन 1947 में जब देश आजाद हुआ तो इसकी खुशी अल्मोड़ा में भी हुई  स्वतंत्रता का हर्सोउल्लास बड़े  स्वागत के साथ किया गया अल्मोड़ा कहा है यह हमको स्वतंत्रता के बाद  पता चला जब अल्मोड़ा का आर्थिक व सामाजिक विकास तेजी के साथ होने लगा |

3-संस्कृति और परंपराएँ

अल्मोड़ा कहां है अनोखी संस्कृति और परंपराएँ :

अल्मोड़ा उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में एक खूबसूरत जिला है जो अपनी अनोखी संस्कृति और परंपराओं के लिए विख्यात है अल्मोड़ा राज्य नहीं देश नहीं विदेशों में तक प्रसिद्ध है क्योंकि यह शहर ऐतिहासिक होने के साथ-साथ सांस्कृतिक शहर भी है

पारंपरिक नृत्य और संगीत

अल्मोड़ा की संस्कृति और यहां  नृत्य संगीत भी मन को छू लेने वाला है | यहां पर त्योहारों और मेलो में  संगीत नृत्य का आयोजन होता रहता है | क्यों कि हमारे पहाड़ में छोलिया नृत्य बहुत ही प्रसिद्ध है कहते हैं की जब  राजा  युद्ध  करने के बाद जीत कर वापिस आता  था तो इसी खुशी में यह नृत्य उसके सम्मान में किया जाता था जिसमें नृत्य करने वाले नर्तक  तलवार और ढोल के साथ युद्ध वाली कलाओ को प्रदर्शित  करते थे अल्मोड़ा में  झोडा चाचरी  अधिकतर यहां पर विशेष पर्व या त्योहार में प्रस्तुत किए जाते हैं जो स्थानीय संस्कृति को दर्शातेहैं

धार्मिक आस्था और मंदिर

धार्मिक आस्था में अल्मोड़ा बहुत आगे है क्योंकि अल्मोड़ा चारों ओर से रक्षा करने वाली देवियों से घिरा हुआ है यहां पर काफी प्राचीन मंदिर हैं जिनमें कसार  देवी ,चितई गोलू देवता मंदिर, सूर्य मंदिर और काफी प्राचीन मंदिर भी है जो  लोग विशेष पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और यहां पर अपनी मुराद पूरी होने के बाद चुनरी व घंटी चढाते हैं  |

हस्तशिल्प और कारीगरी

अल्मोड़ा में हस्तशिल्प कारीगरी भी बहुत ही प्रमुख क्यों कि यहां पर तांबे के बर्तन और लकड़ी की नक्काशी  का काम भी काफी ज्यादा होता है तांबे की बर्तनों के लिए  अल्मोड़ा बहुत ही खूबसूरत जगह है  इसका एक नाम और भी है अल्मोड़ा को ताम्र नगरी भी कहा जाता है |

4-धार्मिक स्थल

अल्मोड़ा कहां है प्रमुख धार्मिक स्थलों की जानकारी:

कसार देवी मंदिर:

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अल्मोड़ा में कई धार्मिक मंदिर भी हैं जिनमें से कुछ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है जैसे कसार  देवी मंदिर यह मंदिर अल्मोड़ा शहर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है कहा जाता है कि यह मंदिर दूसरी शताब्दी के समय का है कसार  देवी मंदिर की विशेषता यह है कि यह एक शक्तिपीठ है और यह क्षेत्र चुंबकीय रहस्य से घिरा हुआ है | काफी बैज्ञानिको ने इसका अध्यन भी किया है  यहां पर कई  बड़े महापुरुष ,स्वामी विवेकानंद और कई साधु संत यहां ध्यान के लिए आए थे

चितई गोलू देवता मंदिर:

चितई गोलू मंदिर यह मंदिर अल्मोड़ा का बहुत प्रख्यात मंदिर है यह मंदिर अल्मोड़ा शहर से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक पहाड़ के किनारे पर है यह मंदिर न्याय के लिए प्रसिद्ध है यहां पर आने वाले  सभी लोग अपनी मनोकामनाएं  पत्र के माध्यम से मागते है और घंटियां चढ़ाते हैं |

कटारमल सूर्य मंदिर:

सूर्य मंदिर यह मंदिर अल्मोड़ा में स्थित कोसी  के पास में है इस मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ पर सुबह धूप की किरण सबसे पहले पड़ती है पूरे भारत में दो ही ये मंदिर है एक कोणार्क  में और दूसरा अल्मोड़ा जिले में और यह मंदिर अल्मोड़ा से लगभग  19 किलोमीटर के आसपास स्थित है नवी शताब्दी में कटारमल नामक राजा हुआ करते थे जिन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था इस मंदिर का आर्केटेक्ट  देखने लायक है और यह मंदिर  भारतीय पुरातत्व  के अधीन है |

5 -भोजन और खानपान

अल्मोड़ा कहां है भोजन और खानपान :

अल्मोड़ा कहां है  उत्तराखंड के कुमाऊ  क्षेत्र में स्थित एक प्राकृतिक और खूबसूरत जगह है अल्मोड़ा का भोजन मुख्यतः जो अपने पहाड़ का भोजन होता है वही यहाँ पर भी चलता है  आज हम आपको बताएंगे यहां का भोजन किस प्रकार का होता है |

भट्ट की चुरकानी :

यह उत्तराखंड या हमारे पहाड़ का एक प्रमुख व्यंजन है यह व्यंजन को बनाने के लिए भट्ट का इस्तेमाल किया जाता है चावल या रोटी के साथ चुरकानी को ख्य जाता है  कुमाऊं क्षेत्र में चुरकानी बहुत प्रसिद्ध है

आलू के गुटके  :

आलू के गुटके भी उत्तराखंड का एक प्रमुख और पहाड़ी व्यंजन है हर घर पर यह व्यंजन बनाया जाता  है और इसके बनने के साथ-साथ यहां का रायता भी बहुत प्रसिद्ध है| दोनों को मिलाकर खाने पर इसका स्वाद और भी खिल जाता है |

गहत की दाल:

गहत की दाल यह दाल भी एक प्रकार की औषधि दाल  है क्यों कि इस दाल का उपयोग शीत ऋतु में किया जाता है जब ठंड के मौसम होते हैं तब पहाड़ के लोग इस दाल का उपयोग ज्यादा करते हैं इस दाल के उपयोग से अगर आपके पेट में पथरी भी होगी तो यह डाल उसको तोड़ देती है जिससे यह हमारे औषधि रूप में भी काम आता है

6-प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन स्थल

अल्मोड़ा कहां है प्रमुख प्राकृतिक स्थलों की सूची और उनका विवरण :

बिनसर वन्यजीव अभयारण्य

अल्मोड़ा में बिनसर वन्य जीव अभ्यारण भी है यह वन्य जीव अभ्यारण अल्मोड़ा क्षेत्र से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित घने जंगलों में है |काफी पर्यटक यहां पर घूमने के लिए आते हैं यहाँ पर आपको तरह तरह के पक्षी भीदिखायी देते है |यहां से आपको हिमालय की चोटियों का नजारा बहुत ही शानदार दिखायी देता  है |

ब्राइट एंड कॉर्नर

ब्राइट एंड कॉर्नर अल्मोड़ा का एक प्रसिद्ध पर्यटक व दर्शनीय स्थल है काफी पर्यटक यहां पर आते हैं और यहां से अद्भुत नजारों का आनंद लेते हैं यहां से हिमालय की  ढकी बर्फ की चोटियां आपको साफ नजर आ जाएंगे यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा भी आप देख सकते हैं जो कि आपको रोमांच से भर देगा इसीलिए ब्राइट एंड कॉर्नर एक खूबसूरत और एक आदर्श जगह  है

बिनसर महादेव मंदिर

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image cfredit-Photo by kamal singh rawat on Unsplash

अल्मोड़ा से 19 किलोमीटर की दूरी पर बिनसर महादेव का खूबसूरत मंदिर भी स्तिथ है जो चारों ओर से हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है इस स्थान पर आप ट्रैकिंग भी कर सकते हैं और यह क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों के लिए खूबसूरत स्थान है |

7- निष्कर्ष

अल्मोड़ा कहां है यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक महत्व को जानना एक अलग अनुभव है। इस शहर में प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक स्थान, जैसे चितई गोलू देवता मंदिर, बिनसर वन्यजीव अभयारण्य और कसार देवी मंदिर हैं।

मन को यहाँ की शांत वातावरण और हिमालय की सुंदर पर्वतमाला  भर देती है। अल्मोड़ा की यात्रा आपको अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं से भी परिचित कराती है।

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