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Toggle1-– तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे परिचय
तुंगनाथ मंदिर सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर
तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है कहा जाता है यह मंदिर 1000 वर्ष पुराना मंदिर है यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इस मंदिर को दुनिया का सबसे ऊंचे स्थान पर होने का दर्जा प्राप्त है यह मंदिर पंच केदार की श्रृंखला का एक बहुत
बड़ा हिस्सा है और यहां पर भगवान शंकर की आराधना की जाती है आप शायद जानते होंगे कि तुंगनाथ का अर्थ क्या होता है अगर आपको नहीं मालूम तो हम आपको बताते हैं कि तुंगनाथ का अर्थ होता है पर्वतों के राजा यानी कि जो पर्वतों के शासन होते है जो इस मंदिर की ऊंचाई और
इसके आध्यात्मिक महत्व को दर्शाते है आपके यहां तक पहुंचने के लिए चोपता से 3.5 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी इस दूरी को आप पैदल ही तय करेंगे चोपता को मिनी स्विट्ज़रलैंड भी कहा जाता है क्यों कि यह आपका तुंगनाथ मंदिर जाने के लिए आप यात्रा यही से शुरू करते है
इसलिए यह स्थान यात्रा का बेस कैंप है या पड़ाव है जब आप इस रास्ते से होकर ट्रैकिंग करते हैं तो रास्ते में आपको हरे भरे जंगल ऊंचे ऊंचे पहाड़ और बर्फ से ढकी चोटियां दिखाई देती है जो देखने मै काफी सुंदर लगती है यदि आप सोच रहे हैं कि तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे तो आपको
सबसे पहले ऋषिकेश या देहरादून पहुंचना होगा चाहे आप ट्रेन से पहुंचे या फिर बस से पहुंचे या हवाई मार्ग से पहुंचे वहां से चोपता के लिए बस टैक्सी या आप स्वयं का वाहन को लेकर तुंगनाथ तक पहुंच सकते हैं|
धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक
तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के हिमालय की पहाड़ियों में स्थित एक प्राचीन और पूर्व मंदिर है और यह एक पवित्र धाम है जो भगवान शिव का स्थान है यह मंदिर धार्मिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक और आध्यात्मिकता की दृष्टि से भी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण स्थान है क्यों कि इस मंदिर को पंच केदार की
श्रेणी में माना जाता है और इस मंदिर का रहस्य भी महाभारत काल से जुड़ा हुआ है मान्यता है कि पांडवों ने भगवान शंकर से आशीर्वाद लिया था और इस मंदिर का निर्माण करवाया था तुंगनाथ मंदिर की जो वास्तु कला है वह अपने आप में सबसे अनोखी है इस मंदिर में पत्थरों से बनी हुई
कलाकृतियां हैं और जो मंदिर की में शिपल्कारी है वह अपने आप में बहुत ही ज्यादा रहस्यमई है यह स्थान उन पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण और महत्व का केंद्र है जो आध्यात्मिक शांति और मानसिक शांति की तलाश में निकले हुए होते हैं इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको पहले
चोपता तक की यात्रा करनी होगी और उसके बाद आप तुंगनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं चोपता से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर बसा हुआ है अगर आप सोच रहे हैं कि तुंगनाथ
मंदिर कैसे पहुंचे तो यह जानना आपके लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है यहां तक पहुंचाने का सफर अपने आप में काफी रहस्य और अनुभव से भरा हुआ होता है और यहां पर पहुंचने के बाद आपको भगवान भोलेनाथ के दर्शन होते हैं|
2- तुंगनाथ मंदिर तक पहुँचने के निकटतम स्थान
निकटतम रेलवे स्टेशन
तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे अगर आपको यह जानना है तो इसके लिए सबसे पहले आपको अपने निकटतम रेलवे स्टेशन वहां पहुंचना होगा और वहां से आप देहरादून या ऋषिकेश के लिए गाड़ी ले सकते हैं तुंगनाथ मंदिर का जो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है वह है देहरादून रेलवे स्टेशन और
ऋषिकेश रेलवे स्टेशन जो कि उत्तराखंड राज्य में स्थित है तुंगनाथ से ऋषिकेश रेलवे स्टेशन की दूरी 210 किलोमीटर के आस पास है ऋषिकेश एक प्रमुख तीर्थ स्थल भी है और धार्मिक पर्यटन स्थल का केंद्र भी है और पूरे भारतवर्ष के साथ अच्छी कनेक्टिविटी के साथ यह स्थान जुड़ा हुआ है
इसलिए आपको यहां तक पहुंचने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी ऋषिकेश से तुंगनाथ तक आप सड़क मार्ग के द्वारा जा सकते हैं ऋषिकेश से चोपता के लिए लगातार बस
टैक्सी और स्वयं के वहां जो अगर आपके पास है चलते रहते हैं इस यात्रा के दौरान आप रास्ते में गंगा नदी और छोटे-छोटे गांव और हरे भरे जंगल और खूबसूरत प्राकृतिक नजारों को निहारते हुए इस यात्रा को पूरा कर सकते है जो इस यात्रा को काफी यादगार बनायेगी
3-चोपता से तुंगनाथ तक पैदल मार्ग
चोपता से तुंगनाथ की दूरी
तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे यह जानना हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है क्यों कि चोपता से तुंगनाथ मंदिर तक जाने की जानकारी होना प्रत्येक पर्यटक को अति आवश्यक है चोपता से तुंगनाथ मंदिर
की दूरी 3.5 किलोमीटर के आसपास है यहां तक यात्रा करने के लिए आपको पैदल ही जाना होता है रास्ते मै आपको सावधानी भी बरतनी होती है क्यों की अत्यधिक ऊंचाई में होने के कारण
आपको कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए अपने साथ लाठी लेकर चले जो आपको चढाई चड़ने में आपकी मदद करेगी और पूरे शरीर का संतुलन बनाये रखेगी | प्रकृति
की गोद में बसा होने के कारण यह स्थान काफी धार्मिक और प्राकृतिक पवित्र स्थान है रास्ते में आपको हरे-भरे घास के मैदान और बर्फ से ढकी चोटियां देखने को मिलेंगे |
रास्ते की सुन्दरता
तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे यह समझने के लिए, रास्ते की सुंदरता को जानना बेहद जरूरी है । चोपता से तुंगनाथ मंदिर तक का ट्रेक न केवल धार्मिक है, बल्कि यह एक प्रकृति प्रेमी के लिए स्वर्ग जैसा स्थान है जहा पर आकर आप अपने तन मन को शांति प्रदान करते है। 3.5 किलोमीटर
का यह ट्रेक आपको सुंदर हिमालय की गोद में ले जाता है, जहां हर कदम पर आपको प्रकृति की अद्भुत सुंदरता देखने को मिलती है। रास्ते में हरे-भरे घास के मैदान, दिखाई देते है जिन्हे हम अपने उत्तराखंड की भाषा में बुग्याल बोलते है | इन बुग्यालो में बैठकर आप अपनी थकान को दूर
कर सकते है। पेड़ों की ऊंची-ऊंची कतारें, रंग-बिरंगे फूलों से सजे रास्ते, और बर्फ से ढकी चोटियां, ये सभी दृश्य मिलकर इस यात्रा को और भी यादगार बना देते हैं। यात्रा के दौरान आप सुंदर पक्षियों की चहचहाहट सुनते हुए और ताजगी भरी ठंडी हवा का आनंद लेते हुए, जा सकते है |
और आप एक ऐसे धार्मिक स्थल की ओर बढ़ते हैं जो आपको आध्यात्मिक शांति का अनुभव प्रदान करती है। अगर आप जब भी तुंगनाथ मंदिर की यात्रा की योजना बनाएं और सोचें “तुंगनाथ मंदिर
कैसे पहुंचे,” तो इस ट्रेक की सुंदरता को मन में जरूर अनुभव करें। यह यात्रा आपके जीवन की सबसे यादगार और खूबसूरत यात्राओं में से एक बन जाएगी।
4-यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
मौसम की जानकारी
तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे यह जानने के साथ साथ मौसम की स्थिति का भी जानना बहुत ही आवश्यक है। तुंगनाथ मंदिर की यात्रा करने से पहले, मौसम की जानकारी अवश्य लेनी चाहिए क्यों की पहाड़ी स्थान होने के कारण कब बारिश या मौसम ख़राब हो जाये इसकी जानकारी प्रत्येक यात्री
को होना जरूरी है जो इस यात्रा की योजना बना रहा है जो , क्यों कि यह मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है और यहां का मौसम कभी भी तेजी से बदल सकता है। गर्मी के महीनों में, मई से अक्टूबर तक, तुंगनाथ यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस दौरान मौसम काफी
सुंदर और साफ होता है, जिससे ट्रेकिंग आसान हो जाती है। मॉनसून में, हालां कि, रास्ते में फिसलन हो जाती है जिसके कारण यात्रा करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है । सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर का मार्ग बंद हो जाता है, इसलिए इस दौरान यात्रा संभव नहीं हो
पाती है । जब भी आप सोच रहे हों कि तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे,तो मौसम की स्थिति को ध्यान में रखकर यात्रा की योजना बनाएं। इससे आपकी यात्रा न केवल सुरक्षित होगी, बल्कि आप इस दिव्य स्थान की सुंदरता का पूरा आनंद भी ले सकेंगे।
आरामदायक कपड़े, ट्रेकिंग शूज और सामग्री
तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे यह जानने के साथ-साथ, यात्रा के दौरान जो कपडे हमको पहनने होते है और जरूरी सामान का ध्यान रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्यों की तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए 3.5 किलोमीटर तक की यात्रा पैदल ही करनी होती है|इसलिए आरामदायक कपड़े और
अच्छे ट्रेकिंग शूज का होना अति आवश्यक है।ट्रेकिंग के दौरान, हल्के और आरामदायक कपड़े पहनना बहुत जरूरी है जो आपको लंबे समय तक आरामदायक महसूस कराएँगे । ऊंचाई पर मौसम अचानक बदल सकता है, इसलिए आपको ठंड से बचने के लिए एक जैकेट,शाल या स्वेटर भी साथ में रखना
चाहिए। ट्रेकिंग शूज ऐसे होने चाहिए जिनकी ग्रिप चढाई में चढ़ते समय काफी मजबूत हो, ताकि आप किसी भी सतह पर सुरक्षित रूप से चल सकें। इसके अलावा, पानी की बोतल, कुछ हल्के स्नैक्स, और एक छोटा मेडिकल का किट भी अपने साथ रखें। जब आप तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे
की योजना बनाएं, तो इन सभी बातों का ध्यान रखना आपकी यात्रा को न केवल सुरक्षित, बल्कि सुखद और यादगार भी बनाएगा तो इन बातो का अवश्य ध्यान रखे यात्रा की योजना बनाते समय|
5- तुंगनाथ यात्रा का सर्वोत्तम समय और सुविधाएं
यात्रा के लिए सबसे उचित है
तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे यह योजना बनाते समय, यात्रा के लिए सही समय का चुनाव करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। तुंगनाथ मंदिर की यात्रा के लिए सबसे उचित समय मई से अक्टूबर के बीच का होता है। इस समय , मौसम आमतौर पर काफी सुंदर और प्रकृति के अनुकूल रहता है, जो
आपकी इस यात्रा को बहुत ही खास बना देता है। मई से अक्टूबर के दौरान, हिमालय पर्वत की श्रंखलाये काफी ज्यादा खूबसूरत दिखायी देती है। गर्मियों में तापमान सामान्य रहता है और ट्रेकिंग के लिए मार्ग भी साफ और सुविधाजनक होता है। इस समय, आप हरे-भरे मैदान, रंग-बिरंगे फूल, और
बर्फ से ढकी चोटियों का आनंद ले सकते हैं। जून से सितम्बर तक मॉनसून का दौर चलता है जिसके कारण यात्रा करना थोड़ी कठिन हो जाता है। बारिश के कारण रास्तो में फिसलन काफी बढ़ जाती है इसी तरह, से सर्दियों में भारी बर्फबारी होने के कारण तुंगनाथ का पूरा रास्ता बंद
हो जाता है जिससे यात्रा करना असंभव हो जाता है। इसलिए, जब भी आप सोच रहे हों कि “तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे,| तो यात्रा की योजना बनाते समय मौसम इत्यादी की जानकारी जरूर प्राप्त कर ले| ताकि आपकी यात्रा सुंदर और मंगलमय हो |
चोपता में आवास
चोपता, जिसे छोटा स्वर्ग’ भी कहा जाता है, में आपको ठहरने के लिए होटल और लॉज की व्यवस्था काफी आकर्षक और सुविधाजनक है। अगर आप तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे की जानकारी भी चाहते हो तो ये यात्रा को और भी आसान बनाती है ।
चोपता में ठहरने की व्यवस्था:
- होटल और लॉज: चोपता में विभिन्न प्रकार के बजट होटल और लॉज उपलब्ध हैं, जो काफी आरामदायक और साफ-सुथरे हैं। यहां आपको प्राकृतिक नजारों के साथ अच्छी सुविधाएं भी मिलेंगी। इन जगहों पर रात बिताने से आपको अच्छी नीद और ऊर्जा मिलेगी, जो आपको तुंगनाथ ट्रैकिंग की यात्रा करने में बहुत सहायता प्रदान करेगी
- गेस्ट हाउस: अगर आप एक घरेलू और शांत वातावरण में रहना पसंद करते हैं, तो चोपता में कई गेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं। ये गेस्ट हाउस स्थानीय संस्कृति का अनुभव कराने के साथ- साथ स्वादिष्ट स्थानीय भोजन भी प्रदान करते हैं।
- कैम्पिंग: एडवेंचर पसंद करने वालों के लिए, चोपता में कैम्पिंग का विकल्प भी मौजूद है। यहाँ पर तम्बू लगाकर रहने का मजा आप प्रकृति के करीब रहकर ले सकते हैं। कैम्पिंग की सुविधा आपको एक अद्वितीय अनुभव दे सकती है। जिसको आप हमेशा यद् रखगे |
- सुविधाएँ और सेवाएं: चोपता में अधिकांश ठहरने की जगहों पर बुनियादी सुविधाएं जैसे गर्म पानी, साफ-सफाई और भोजन की व्यवस्था होती है। इसके अलावा, कुछ ठिकानों पर आपको वाई-फाई और अन्य आधुनिक सुविधाएं भी मिल सकती हैं। जिससे आप को अगर अपना कोई ऑनलाइन कार्य भी करना है तो वह वहा पर बैठे बैठे हो जायेगा और आपकी यात्रा भी पूर्ण जाएगी
6-चोपता में भोजन की व्यवस्था
चोपता में खाने पीने की व्यवस्था काफी अच्छी है यहां पर आपको स्वादिष्ट खाना ही नहीं बल्कि भरपूर सादगी के साथ पूरा भोजन भी मिलेगा और उस भोजन में आपको अपने उत्तराखंड की
संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी यहां पर कई ढाबे और रेस्टोरेंट है जो आपको हिमालय का स्वाद प्रदान करेंगे आपको यहां पर आलू के पराठे ,दाल चावल,रोटी सब्जी, जैसी पहाड़ी
पारंपरिक भोजन भी उपलब्ध हो जाएंगे और अगर आप अपनी इच्छा अनुसार उनसे कुछ बनवाना चाहते हैं तो वह सुविधा भी आपके यहां पर मिल जाएगी चोपता में अधिकांश होटल पर्यटकों की मेहमान नवाजी के लिए काफी प्रसिद्ध है |
7-निष्कर्ष
तुंगनाथ मंदिर कैसे पहुंचे, इसका सही मार्गदर्शन आपकी यात्रा को सरल और सुखद बना सकता है। हरिद्वार या ऋषिकेश से चोपता तक पहुंचने के बाद,आपको 4 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी होती
है चोपता से तुंगनाथ तक की यह ट्रैकिंग बड़ी ही आकर्षक और पहाड़ी दृश्यों और ठंडी हवा से भरी होती है। सही ट्रैकिंग जूते और गर्म कपड़े साथ में ले जाना आवश्यक है, और मौसम की
स्थिति की जानकारी लेना न भूलें।अगर आप बिल्कुल भी क्षेत्रमें नए है तो गाइड की जानकारी लेना बहुत आवश्यक है। इस प्रकार, तुंगनाथ मंदिर की यात्रा बहुत ही आध्यात्मिक और रोमांचक अनुभव के साथ कर सकते है ।
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